Wednesday, July 16, 2014

हृदय परिवर्तन का वैदिक शास्त्र

हृदय परिवर्तन का वैदिक शास्त्र

बाबा रामदेव योग गुरु हैं, और तरह-तरह के आसन करने में माहिर हैं यह तो सभी जानते हैं। एक आसन और करते हैं वह। अपना पैर अपने मुंह में डालने का। अंग्रेजी में एक कहावत है: पुटिंग योर फुट इन द माउथ। इसका मतलब ऐसा कुछ बेवकूफी भरा कह देना कि बाद में पछतावा हो। वैदिक वाले मामले में यही हुआ फिर से। अच्छा खासा वैदिक ऐंड पार्टी मिल-मिला कर हाफिज सईद (मुरली मनोहर जोशी के मुताबिक 'श्री हाफ़िज़ सईद'...) के साथ मुलाकात को लीप-पोत रहे थे, और बाबा बोल पड़े।


बाबा मे बोला ऐसा कि अपनी टांग को बकलोलासन करते हुए अपने मुंह में घुसेड़ लिया और मचने लगी हाय-हाय। बोले कि वैदिक हृदय परिवर्तन के लिए गए थे। सियार को जब हुक्कार उठती है तो लाख मनाये कोई, बस उठी तो उठी, वह हुक्कार के ही दम लेगा। अब कोई पत्रकार हृदय परिवर्तन के लिए तो जाता नहीं, वह भी किसी ऐसे हैवान का, जो मज़हब के नाम पर पूरे देश और उसके लोगों का खून पीने के लिए बैठा हो। ये पत्रकार मसीहाई और फेथ हीलिंग कब से करने लगे? पतंजलि के किसी चूर्ण का असर है क्या?


सवाल यह तो है ही कि वैदिक मिलने क्यों गए? क्यों हाफिज सईद ने उनकी कार का दरवाज़ा खोला? क्यों हाफिज कई बाकी पत्रकारों से नहीं मिला। जहां तक मुझे याद पड़ता है, तवलीन सिंह से भी नहीं मिला था। जो फोटो फेसबुक पर आई है, उसमें रिकॉर्डिंग इंस्ट्रूमेंट कोई दिख तो नहीं रहा। कोई माइक, कॉलर माइक, टेप रिकॉर्डर, या कोई नोटबुक, पेन वगैरह। तो इंटरव्यू के बारे में वैदिक जो लिखे, क्या अपनी स्मृति से ही लिखे? या ऐसा कोई करार था दोनों के बीच? उनका कहना है कि उनके इंटरव्यू पर 36 अखबारों ने संपादकीय लिखे। आपने पढ़े थे?


सवाल यह नहीं कि एक पत्रकार को किसी आतंकवादी, मोस्ट वांटेड शैतान से मिलने का हक़ है या नहीं, सवाल यह है कि उनके बीच जो हुआ उसकी पूरी डिटेल जानने का हक इस देश को है। मुलाकात इस्लामाबाद के भारतीय दूतावास की जानकारी बगैर नहीं हो सकती, तो विदेश मंत्रालय को इसकी पूरी जानकारी देनी चाहिए। और मामला इसलिए गंभीर है कि वैदिक भाजपा के काफी करीबी हैं, और इसलिए खुद पीएम मोदी को इस पर एक बयान देना चाहिए। इस पूरी मीटिंग का एक-एक डिटेल।


रामदेव ने किस आधार पर कहा की वैदिक हाफिज का दिल बदलने गए थे? यह मान भी लिया जाय तो किसने भेजा उन्हें इस मिशन पर कि वह जाएं और शैतान का दिल बदल आवें। पर रामदेव को जानकारी कैसे मिली वैदिक के मिशन के बारे में? या तो यह माना जाए कि रामदेव उल-जलूल बोलते हैं, जो मन में आये वही।


अब वैदिक भाजपा से पल्ला झाड़ रहे हैं, और बीजेपी वैदिक से। वैदिक का कहना है कि वह तो नरसिम्हा राव के भी यार रहे थे और ऐसी सभाओं में भी बोले, जिसमें पूर्व पीएम मनमोहन मुख्य वक्ता थे। और बीजेपी कह रही है कि वैदिक पत्रकार हैं, जिससे चाहे मिलें और रामदेव बोल रहे हैं दिल बदलने के लिए गए थे। जनता कन्फ्यूज़्ड हुए जा रही है। आतंकवादियों का सरगना कह रहा है कि भारतीय सांसदों की सोच ही ओछी है। हद है साहब! झूठ और अर्धसत्य के इस बीहड़ जंगल में कौन ढूंढ कर लाये सच के घायल मृग को?



वैदिक को क्लियर करना चाहिए कि वह पत्रकारिता करना चाहते हैं, या भारतीयता। पेशा पहले है या देश। वे यह भी कह रहे हैं कि उन्होंने बड़ा साहस किया और कोई होता तो स्ट्रेचर पर लौटता। तो ऐसे खूंखार शैतान के साथ उन्होंने क्या किया कि उन्हें स्ट्रेचर पर नहीं लौटना पड़ा? योग सिखाया उसको? गीता पाठ किया उसके सामने? लोग जानना चाहते हैं वैदिक साहब, आप मसीहाई के राज़ शेयर तो करें। मैं एक स्वतंत्र पत्रकार के रूप में मिलता इस शैतान से तो सबसे पहले एक भारतीय के रूप में मिलता और पूरा डिटेल इस मुलाकात के बारे में खुल कर शेयर करता, न सिर्फ अपने देश वालों से बल्कि पूरी दुनिया से।


क्यों नहीं? ये तो इंसानियत के दुश्मन हैं। इनसे कोई गोपनीय बात करने का क्या मतलब? ये आपके देश की धज्जियां उड़ाने के लिए मौका ढूंढ रहे हैं और वैदिक और उनके संरक्षक किस्से सुना रहे हैं, उनके व्यक्तिगत साहस और पत्रकारिता के उसूलों के। हाफ़िज़ कह रहा है पाकिस्तान में मोदी का स्वागत है। आईएसआई और पाक सेना की सुरक्षा में रहता है यह बंदा और एक खबर तो यह भी है कि वैदिक साहब एक पाकिस्तानी अखबार में कश्मीर की आज़ादी की बात भी कर आये हैं। कौन किसके हाथ में खेल रहा है, ये क्या हो रहा है साहब! कोई कुछ बताये तो!


कुछ है जो छिपाया जा रहा है। ये हंगामा यूं ही नहीं। कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है! हो सकता है बंदा कहने कुछ और गया हो और कह आया हो कुछ और ही। हाफ़िज़ के सामने घिघिया कर बात ही बदल गयी हो और अब बताने में शर्म आ रही हो। एक शेर है न: 'घर से तो हर मुआमला करके चले थे साफ़ हम, कहने को उनके सामने बात बदल बदल गयी'।

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