Friday, April 11, 2014

मोदी के खिलाफ डॉन अंसारी के समर्थन से भी केजरीवाल को परहेज नहीं


मोदी के खिलाफ डॉन अंसारी के समर्थन से भी केजरीवाल को परहेज नहीं

11 Apr 2014, 1511 hrs IST,नवभारतटाइम्स.कॉम  
वाराणसीः मोदी को हराने के लिए मुख्तार अंसारी से हाथ मिलाने को केजरीवाल तैयार
 
वाराणसीः मोदी को हराने के लिए मुख्तार अंसारी से हाथ मिलाने को केजरीवाल तैयार
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नई दिल्ली
वाराणसी का चुनावी दंगल बेहद रोमांचक होता जा रहा है। कई संगीन हत्याओं के आरोपी और फिलहाल आगरा जेल में बंद डॉन मुख्तार अंसारी वाराणसी के चुनावी मैदान से हट गए हैं। इस बीच, आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी को हराने के लिए जो भी ताकत समर्थन में आती हैं हम साथ लेने को तैयार हैं। चर्चा यह है कि मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी और केजरीवाल के बीच दिल्ली में मुलाकात भी हुई है।

गुरुवार को अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल के प्रेजिडेंड और मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी ने कहा, 'मैं नहीं चाहता कि बनारस में सेक्युलर वोट बंटे और नरेंद्र मोदी की जीत पक्की हो जाए। ऐसे में न मुख्तार न ही उनकी पत्नी अफशा अंसारी वाराणसी से चुनाव लड़ेंगी। हालांकि, मुख्तार घोसी सीट से चुनाव लड़ेंगे।'

2009 के आम चुनाव में भी डॉन मुख्तार अंसारी बनारस के चुनावी दंगल में थे। उन्होंने तब के बीजेपी कैंडिडेट मुरली मनोहर जोशी को तगड़ी टक्कर दी थी और महज 17 हजार वोटों से हारे थे। मुख्तार को पिछले चुनाव में करीब 1,85,000 मत मिले थे। पिछली बार आम चुनाव के दौरान काशी में 'जोशी जिताओ, मुख्तार हराओ' का नारा चला था और इस सीट पर लड़ाई हिंदू बनाम मुसलमान हो गई थी और इसका फायदा जोशी को मिला।

मुख्तार अंसारी के हटने से किसको फायदा?
यह सवाल लाख टके का है कि मुख्तार अंसारी के हटने से किसको फायदा होगा? इतना तो तय है कि अंसारी के हटने से मुस्लिम वोट अब किसी एक कैंडिडेट के साथ जाएगा और वह मोदी तो नहीं होंगे। बनारस के 2009 के चुनावी नतीजे के बारे में कहा जाता है कि बीजेपी की जीत मुख्तार अंसारी ने ही सुनिश्चित की थी। मुख्तार अंसारी के कारण बनारस में रातोरात सांप्रदायिक ध्रुवीकरण हुआ था और नतीजा मुरली मनोहर जोशी के पक्ष में गया था।

मुख्तार अंसारी के हटने से वाराणसी में भले मुस्लिम वोटों का बंटवारा थम सकता है, लेकिन सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की आंशका भी प्रबल बनती है। अंसारी पूर्वांचल के जाने-माने गैंगस्टर रहे हैं। मुख्तार अंसारी पर पूर्वांचल में संगठित गुंडागर्दी को खाद-पानी देने के संगीन आरोप हैं। पूर्वांचल में ठेके को लेकर होने वाले गैंगवार में मुख्तार अंसारी एक बड़ा नाम है। वह फिहलाल मऊ से विधायक हैं। हिन्दू खासकर सवर्ण हिन्दू मुख्तार के विरोधी माने जाते हैं। ऐसी स्थिति में मुस्लिम वोट लेने के लिए मुख्तार अंसारी का समर्थन हिन्दुओं के एक मजबूत तबके को नाराज करने का जोखिम कौन उठाएगा?

केजरीवाल ने दिए मुख्तार से समर्थन लेने के संकेत
शुक्रवार को आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने अमृतसर में कहा कि मोदी और राहुल गांधी को हराने के लिए जो भी ताकत समर्थन में आती हैं हम साथ लेने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि मोदी और राहुल गांधी विरोधी सारी ताकतों को एक साथ आने की जरूरत है। सूत्रों के अनुसार, अफजाल और केजरीवाल के बीच कई दौर की बातचीत हुई है और इस बात की उम्मीद है कि मुख्तार, केजरीवाल को अपना समर्थन दे सकते हैं। यदि मुख्तार अंसारी का समर्थन 'आप' लेती है तो बनारस में एक बार फिर से सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का माहौल बन सकता है। लड़ाई का रुख मोदी बनाम केजरीवाल हो जाएगा।

अफजाल अंसारी मोदी के खिलाफ केजरीवाल को ही दमदार कैंडिडेट मान रहे हैं और उनका मन 'आप' को समर्थन करने का है। अफजाल ने कहा कि उनकी पार्टी पर आरोप लग रहे हैं कि मुख्तार अंसारी को उतारने से सेक्युलर वोट बंट रहे हैं, ऐसे में सेक्युलर वोटों को मजबूत करने के लिए वह रेस से हट रहे हैं। उन्होंने कहा, 'अब यह एसपी, बीएसपी और कांग्रेस पर है कि वे मोदी को किस तरह से रोकना चाहते हैं, इसका फैसला करें। केजरीवाल का बनारस में अपना कोई आधार नहीं है और न ही उनका कोई वोट बैंक है, लेकिन यदि अफजाल उन्हें अपना समर्थन देते हैं तो बनारस के लगभग चार लाख मुसलमानों के सहयोग से वह सीधी लड़ाई में आ सकते हैं। केजरीवाल ने भी यह कहना शुरू कर दिया है कि मोदी को हराने के लिए वह किसी का भी समर्थन ले सकते हैं।

क्या करेंगे अजय राय ?
कांग्रेस के टिकट पर मोदी को बनारस के हराने का दावा कर रहे पूर्व भाजपाई अजय राय की डॉन मुख्तार अंसारी से पुरानी अदावत है। मुख्तार अंसारी पर अजय राय के भाई अवधेश राय की 1991 में उनके घर के सामने हत्या करने का आरोप है। इसके बाद से अजय राय भी मुख्तार अंसारी के निशाने पर रहे। कोर्ट में गवाही के दौरान अजय राय पर भी मुख्तार पर हमला करवाने का आरोप है। उस वक्त अजय राय बाल-बाल बच गए थे। मुख्तार अंसारी पर 29 नवंबर 2005 में मोहम्मदाबाद से तत्कालीन बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या का भी आरोप है। उस दिन कृष्णानंद राय अपने भतीजे की शादी में शरीक होने पैतृक गांव गए हुए थे। वहीं राय की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। कृष्णानंद राय तब पूर्वांचल में बीजेपी के ताकतवर नेता थे।

राय मोहम्मदाबाद से मुख्तार अंसारी के भाई को ही हराकर विधायक बने थे। तब से वह मुख्तार अंसारी के निशाने पर थे। कृष्णानंद राय की हत्या के बाद पूर्वांचल का माहौल बेहद तनावपूर्ण रहा। कृष्णानंद राय भी अजय राय की तरह भूमिहार जाति से थे। ऐसे में मुख्तार केजरीवाल के साथ जाते हैं तो लड़ाई मोदी बनाम 'आप' होगी। अजय राय तीसरे नंबर पर आ जाएंगे। इस हालत में अजय राय की जाति भी उन्हें किस आधार पर समर्थन करेगी? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिन पर बीजेपी अजय राय को घेर सकती है। इन सवालों का जवाब देना अजय राय के लिए इतना आसान नहीं होगा।

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