Tuesday, February 25, 2014

कार्यकर्ता अधिक हैं या मीडिया के कैमरे?



आप खुद ही तय कीजिये कि कार्यकर्ता अधिक हैं या मीडिया के कैमरे अधिक हैं?? 

एक ऐसी पार्टी जिसे आधे-अधूरे राज्य में आधी-अधूरी सीटें मिली हैं... जिसका शेष भारत में कहीं कोई जनाधार नहीं है... वास्तविक कार्यकर्ताओं की संख्या कितनी है पता नहीं... 

लेकिन फिर भी उसे इतना अधिक मीडिया कवरेज कैसे मिल रहा है? जो मीडिया अपने बाप की मौत की खबर भी पैसा लेकर ही छापता-दिखाता हो... वह घंटों तक तमाम नौटंकियों, धरनों और प्रदर्शनों को इतना अधिक एयर-टाईम किसके पैसे के बल पर दे रहा है?? आखिर कौन है, जो केजरीवाल को प्रमोट करने (यानी मोदी का विरोध करवाने) के लिए इतना पैसा खर्च कर रहा है? 

No comments:

Post a Comment

Paid मीडिया का रोल

क्या मोदी सरकार पिछली यूपीए सरकार की तुलना में मीडिया को अपने वश में ज्यादा कर रही हैं? . यह गलत धारणा पेड मीडिया द्वारा ही फैलाई गयी है ...