Saturday, February 15, 2014

थोड़ा लम्बा है लेकिन जरुर पढ़े

थोड़ा लम्बा है लेकिन जरुर पढ़े

एक समय की बात है, इन्द्रप्रस्थ में एक महापुरुष रहा करते थे, उनका नाम युगपुरुष था । इन्द्रप्रस्थ में अक्सर देवासुर-संग्राम चला करता था, वन्स अपॉन अ टाइम की बात है देवासुरों की प्रचंड बकलोली से त्रस्त मैंगो मानव 'त्राहि आम..त्राहि आम' करते हुए युगपुरुष के पास पहुंचे, युगपुरुष अपनी पीठ खुजाते हुए उठे, उन्होंने मैंगो मानव को देखा, उनकी दृष्टि में दुःख था, कातरता थी ।

युगपुरुष उवाचे, पर पहले खांसे- "हे मैंगो मानव ऑफ़ केला रिपब्लिक, लिसेन मी केयरफुली, अब तक इन देव और असुरों की बहुत चली अब हमें क्रान्ति करनी होगी, शोकों का शमन दुखों की शान्ति करनी होगी, हम इस करप्शन नामक बकासुर को भी उखाड़ देंगे, सेंटी मत होना हम सबको झाड़ देंगे । दुखों की बबलगम फुस्स हो गई, पब्लिक सारी खुस्स हो गई ।

एक नए तरह के युद्ध की तैयारी होने लगी, चन्दे बटोरे जाने लगे, पोस्टर चिपकाए जाने लगे, पर समस्या ये थी कि युद्ध के हथियार क्या होंगे, भ्रान्ति से क्रान्ति कैसे होगी ?

तभी अचानक बकवासवाणी हुई... "हे पुत्र केजरी,चिंता न करो, इन देवों और असुरों के सुतियापे से आम जनता को राहत पहुँचाने को हम तुम्हे हथियार प्रदान करेंगे"

युगपुरुष ख़ुशी से गुब्बारा हो गए, फूल के फुग्गारा हो, गए उनकी आँखों से आंसू बहे ऐसे कि जंतर-मंतर पर खड़े-खड़े फव्वारा हो गए ।

युगपुरुष अपनी साढ़े एक्यावन इंच की छाती फुला कर बोले- प्रभो । आप जो कोई भी हो । आपकी बातों की हम रिस्पेक्ट करते हैं, आपका चंदा हम एक्सेप्ट करते हैं, पर तनिक हथियारों की डीटेल बताइए, ऊ का है न कि वेबसाईट पर डालना पड़ता है, नही तो ये छोकरे कनपट चर लेते हैं ।

बकवासवाणी अगेन टिंटीयाई- बेटा अब हमको, छोड़ना न सिखाओ, लो आयुधों का डिस्क्रिप्शन सुनो और बैटलफील्ड में आजमाओ । "तुम्हारा पहला हथियार है झाडू, तुम इससे करप्शन झाड़ सकते हो, इसको बुहारते हुए, इन्द्रप्रस्थ की शाजियाओं को निहार सकते हो, चाहो तो कंधे पर रखकर शान बघार सकते हो, या अगले को इसके पिछले से मार सकते हो । "तुम्हारा दूसरा हथियार है टोपी, सफ़ेद टोपी. इस पर तुम कुछ भी लिख सकते हो, हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी । इसे किसी भी रंग में रंग सकते हो, वक्त पड़ने पर कछुए की तरह इसके तले छिप सकते हो, ये आड़े वक्त में बहुत काम आएगी, तुमको विधानसभा तक पहुंचाएगी, जब डूबो तो इसे नाव बना सकते हो, धरने के टाइम इससे छाँव बना सकते हो, भगा दिए जाओ तो राले-गाँव बना सकते हो, इससे निकाल के चीटीं के टखने को हाथी पाँव बना सकते हो ।

"तुम्हारा तीसरा हथियार है टिविट्रास्त्र और फेसबुचक्र, अपनी वा-नर सेना को कहो कि नर से नारी हो जाएं पैजामे से साड़ी हो जाएं, फेसबुक पर पोस्ट बटोरते फिरे ऐसे कि ऑनलाइन कबाड़ी हो जाएं, मांगे वोट ट्विटर पर तुम्हारे लिए हैशटैग वाले भिखारी हो जाएं ।"

"तुम्हारा चौथा हथियार है धरना, जब मन चाहे इस्तेमाल करना जब तक ये पास है तुम किसी से न डरना, इसे आगे रखकर हर किसी से सींग तौल-तौल लड़ना |"

"तुम्हारा आख़िरी हथियार है लोकपाल, इसे हमेशा पालकर रखना इसका इस्तेमाल कभी न करना, इसे क्लाइमेक्स में यूज करना, इसकी ऑन बटन पर कभी हाथ न धरना वर्ना ये बैकफायर कर जाएगी, दूसरे के लिए है, तुम्हारी ही मरर जाएगी ।"

और "ये हथियार है कुमार विष-वास ये तुम्हारे बहुत काम आएगा..!"

युगपुरुष कन्फ्युजियाए "पर इसके बारे में तो पहले नही बताया, लोकपाल तो आख़िरी था न" "बेटा..ग्रेट पावर के साथ ग्रेट इलेक्ट्रीसिटी बिल भी आता है, ढ़ाबे की प्याज है, कॉम्प्लीमेंट्री ये विष-वास है, तुम्हारे खाने का बिल है, छिपकली की दुम और सांप के फन में विष का वास होता है, इसके सारे शरीर में विष का वास होगा, ये तुम्हारे लिए विश- कन्या साबित होगा तुम विश करोगे ये विश पूरी करेगा, जब चाहोगे राहुल बन जाएगा, कल्टी मार के दिग्विजय बन जाएगा, सबको एक ही पोयम से पकाएगा ।

प्रभु - जरूरी है इसको रखना ? या ड्यूड जैसे पौए के साथ चखना..!

ठीक है प्रभु..

"मन्नू मत बनो, ठीक है न कहो, मफलर का घूँघट ओढ़कर आशीर्वाद लो, झाड़ू प्रत्यंचा पर चढ़ाकर निशाना साध लो, अपने शत्रुओं को छांट लो, गाजर- मूली की तरह काट दो, सत्ता को झकझोर दो सबको निपोर दो"

"हओ प्रभु..!!"

समय बीता, बकलोली परवान चढ़ी, शीला जवान हुई, बुढाई और मनरेगा का जॉब कार्ड दे घर से निकाल दी गई, आठ दिसंबर को दिल्ली का रिजल्ट निकल गया, सो कॉल्ड देव और दानवों को खल गया, युगपुरुष टनटना गए, सांप की तरह फनफना गए, राक्षसों को दी झप्पी और ले-देकर राजगद्दी पर छा गए ।

खाँसी, धरने और करने-न-करने के बीच उनचास दिन बीते, मैंगो मानव मुफ्त का पानी रहे पीते, उनकी आँखों के कोर रहे रीते पर तभी दानव अपने सपोर्ट की खींचने लगे सीटें ।

कोई उनकी टोपी नोचता, कोई मफलर खींचता, वो खांसते तो सब मजाक उड़ाते, वो धरने पर हों तो सब मटर छील-छील खाते । उन्होंने ब्रम्हास्त्र इस्तेमाल किया, लोकपाल उछाल दिया, किसी को ध्यान न देना था न दिया, युगपुरुष फ्रस्टेटिया गए, बिलौंटे की तरह खिसिया गए, उनने नोचा खम्बा, मारा हाथ लम्बा, दे मारा इस्तीफ़ा, मैंगो मानव रह गया हक्का-बक्का । सब फुसफुसा रहे हैं, अनुमान लगा रहे हैं, पर युगपुरुष अपना काम कर चुके हैं, इन्द्रप्रस्थ छोड़कर इन्द्र-लोक-सभा की ओर बढ़ चुके हैं ।

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