Friday, December 6, 2013

By Agha Hasan

6 दिसंबर: शौर्य दिवस या शर्म दिवस !!! **************************** 6 दिसंबर के दिन वाकई मुझे बहुत दुःख होता है, यह दिन मुझे एहसास कराता है कि कोई कौम वाकई कितनी अमानवीय, असभ्य, असहिष्णु, अत्याचारी, क्रूर, ज़ालिम, नीच, ज़लील, अतिवादी, धर्मान्ध और आतंकवादी हो सकती है. यह लोग सम्पूर्ण मानव जाति पर न सिर्फ एक कलंक हैं बल्कि मानवता पर भी बोझ बन चुके हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि ज़ालिमों की समाप्ति पर ज़ुल्म भी समाप्त हो जाए, ज़ालिम की समाप्ति के पश्चात भी ज़ुल्म जारी रह सकता है, इसी प्रकार ज़ालिम का साथ देने के लिए यह भी आवश्यक नहीं है कि उसका समर्थन उसके सामने ही या उसके काल में किया जाए अथार्थ ज़ालिम का समर्थन करने में दूरी अथवा काल किसी प्रकार की बाधा नहीं पैदा करते, ज़ालिम के ज़ुल्म में दूर से ही समर्थन कर उसके ज़ुल्म में शरीक हो सकते हैं और जो बीते हुए काल में ज़ुल्म हुए उनका इस काल में समर्थन कर उस ज़ुल्म में कभी भी शरीक हुआ जा सकता है, यह हमेशा चलने वाली एक सतत प्रक्रिया है, जिसको जब जहाँ जिस ज़ुल्म में शामिल होना हो बड़ी आसानी से शामिल हो सकता है, केवल समर्थन ही तो करना है. 6 दिसंबर का दिन भारत के समस्त सुन्नी वहाबी मुसलमानों के लिए शर्म दिवस होना चाहिए क्योकि तुम लोग जिस बाबरी ढाचे के ध्वस्तीकरण का धर्म के नाम पर विरोध करते हो वो असल में तुम्हारे आतंकवाद की अभिव्यक्ति है क्योकि बाबरी मस्जिद सुन्नी शासक बाबर के आतंकवाद का प्रतीक थी, तुम असल में सुन्नी अक्रान्ता बाबर के ज़ुल्म का समर्थन करते हो, हिन्दुओ के पवित्र राम मंदिर को ध्वस्त कर, हिन्दुओ की ज़मीन ज़बरदस्ती छीनकर वहाँ मस्जिद का निर्माण करना सही था ऐसा किस कुरान में लिखा है ? क्या इस्लाम धर्म इस बात की इजाज़त देता है कि गज़्बी ज़मीन (अवैधानिक रूप से कब्ज़ाई भूमि) पर मस्जिद इत्यादि का निर्माण करो ? क्या ऐसी भूमि पर इबादत करना जाएज़ है ? पैगम्बर स. ने स्पष्ट रूप से ऐसा करने से मना किया है लेकिन तुम्हारी नज़रों में पैगम्बर स. की शिक्षाओं से अधिक मूल्य बाबर के आतंकवाद का है असल में अपनी अमानवीय इच्छाओं को इस्लाम का नाम देना तुम्हारे पूर्वजों का इतिहास रहा है, इस्लाम को लूटने वाले तुम्हारे लानती बदकिरदार ख़लीफा अबुबकर, उमर, उस्मान, माविया, यज़ीद हों अथवा भारत को लूटने वाले ग़ज़नी, गौरी, बाबर या औरंगज़ेब हों या फिर आतंकवाद के पोषक आज के सुन्नी वहाबी अरब देश सब की कार्यशैली एक ही रही है : अपनी अवैधानिक, अमानवीय इच्छाओं और अपराधो को इस्लाम के माथे मढ़ देना. 6 दिसंबर मुसलमानों के लिए शर्म दिवस इसलिए होना चाहिए क्योकि बाबरी आतंक के प्रतीक बाबरी ढाचे को आगे बढ़कर ध्वस्त करना मुसलमानों का कर्तव्य था जो दुर्भाग्यवश तुम लोग कर न सके. लेकिन इससे अधिक दुःख की बात यह है कि तुम लोग इस्लामिक मूल्यों, आदर्शों और पैगम्बर स. की शिक्षाओं के विपरीत बाबर द्वारा किये गए ज़ुल्म का समर्थन आज तक कर रहे हो. बाबर ने पवित्र हिन्दू मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाकर इस्लाम के नाम को कलंकित किया था, यह कलंक अब मिट चुका है और तुम्हारे लिए भी बेहतर यही है कि राम जन्म भूमि पर राम मंदिर निर्माण का समर्थन कर अपने बाप बाबर द्वारा किये गए अपराध का प्रायश्चित कर लो. हालाँकि मै जानता हूँ ऐसा करोगे नहीं क्योकि अमानवीयता, असभ्यता, असहिष्णुता, अत्याचार, क्रूरता, ज़ुल्म, नीचता, अतिवाद, धर्मान्धता और आतंकवाद तुम्हारे खून में है, लानत है तुम सुन्नी वहाबी आतंकवादियों पर. जय हिन्द.

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