Saturday, December 21, 2013

एक गाय से महीने में एक लाख की कमाई

एक गाय से महीने में एक लाख की कमाई

जमशेदपुर, संवाददाता : एक गाय पालकर आप महीने में एक लाख रुपये की कमाई कर सकते हैं। सुनने में यह आश्चर्यजनक जरूर है, लेकिन है सोलहो आने सच। तमिलनाडु के कांचीपुरम जिले में स्थापित महर्षि वाग्भट्ट गौशाला एवं पंचगव्य विज्ञान केन्द्र में अब तक हुए शोधों ने यह प्रमाणित कर दिया है। इन्हीं शोधों में से एक शोध यह बताता है कि दुनिया का सबसे उच्च कोटि का हाइड्रोजन गोबर और गोमूत्र से मिलता है। गोबर, गोमूत्र और दूध से आज पूरी दुनिया में 300 से अधिक दवाएं बन रही हैं। यह केवल वेद में वर्णित 64 सूत्रों पर काम करके संभव हुआ है। जबकि केवल वेद में ही 1500-1700 सूत्र हैं और इन पर काम होना अभी बाकी है। वाग्भट्ट गौशाला एवं पंचगव्य विज्ञान केन्द्र के सीयू शाह क्लीनिक एण्ड डायग्नोस्टिक सेंटर का पंचगव्य विभाग तो यहां तक दावा करता है कि गाय का शरीर एक संपूर्ण मेडिकल यूनिवर्सिटी है। गोमूत्र, गोबर और दूध से बनी दवाओं से अब तक सैकड़ों असाध्य रोगियों को पूरी तरह से स्वस्थ किया जा चुका है। इन दवाओं के आगे कोई रोग असाध्य नहीं दिखता। इस केन्द्र में केवल एड्स पर काम नहीं किया गया है, बाकी कैंसर के प्राथमिक स्तर के रोगियों को छह महीने में पूरी तरह से स्वस्थ किया जा चुका है। इन दवाओं से डायबिटीज के रोगियों को स्वस्थ करने में 2.5 से तीन साल का समय लगता है। आज नहीं तो कल गोबर, गोमूत्र और दूध का उपयोग बड़ पैमाने पर इन दवाओं के निर्माण में होगा और गोपालक गो सेवा तो करेंगे ही, आर्थिक रूप से समृद्ध भी होंगे।
वाग्भट्ट गौशाला एवं पंचगव्य विज्ञान केन्द्र कांचीपुरम से आए निरंजन भाई वर्मा ने शुक्रवार को यहां बताया कि सेटेलाइट टेलीकम्यूनिकेशन के वैज्ञानिक राजीव दीक्षित ने भारत में विदेशी कंपनियों की लूट, देश के वैभावशाली इतिहास और पौराणिक चिकित्सा विज्ञान पर अनुसंधान करके कथा के माध्यम से इसका विस्तार शुरू किया। मैं 1994 में उनसे जुड़ा। पिछले 12 वर्षो से गायों के साथ जी रहा हूं और वाग्भट्ट गौशाला एवं पंचगव्य विज्ञान केन्द्र में गाय के आध्यात्मिक पक्ष, वैज्ञानिक पक्ष, चिकित्सा विज्ञान, अर्थशास्त्र, धार्मिक व सांस्कृतिक पक्ष पर शोध कर रहा हूं और इन शोधों के निष्कर्ष और अनुभव कथा के रूप में बांटता हूं। मैं सबसे अधिक वैज्ञानिक पक्ष पर बात करता हूं। क्योंकि आज देश की लगभग सभी गौशालाएं दान पर चल रही हैं। इस मिथक को तोड़ना है। आने वाले समय में ऊर्जा और चिकित्सा के क्षेत्र में गोबर, गोमूत्र और दूध की उपयोगिता बड़े पैमाने पर होगी। एक साल में एक गाय जितना गोबर, गोमूत्र और दूध देती है, उसकी मार्केट वैल्यू 10 लाख रुपये से अधिक होगी। श्री वर्मा आज स्वदेशी भारत पीठम् एवं झारखंड उदयम् के तत्वावधान में सोनारी के किशोर संघ मैंदान बड़तल्ला में आयोजित पत्रकार वार्ता में बोल रहे थे। श्री वर्मा सात व आठ अप्रैल को स्वर्णरेखा फ्लैट, साकची में सुबह 6 से 8 बजे तक नाड़ी विज्ञान का प्रशिक्षण देंगे। साथ ही सात अप्रैल को एनआइटी में गाय से मिलने वाली वैकल्पिक ऊर्जा पर व्याख्यान देंगे। रविवार को बस्टमडीह गांव के लोगों को गोपालन से होने वाले लाभ के बारे में बताएंगे।

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