Saturday, November 2, 2013

अयोध्या की आग पर

बाबर हमलावर था मन में गढ़ लेना 
इतिहासों में लिखा है पढ़ लेना 
जो तुलना करते हैं बाबर-राम की 
उनकी बुद्धि है निश्चित किसी गुलाम की

राम हमारे गौरव के प्रतिमान हैं
राम हमारे भारत की पहचान हैं
राम हमारे घट-घट के भगवान् हैं
राम हमारी पूजा हैं अरमान हैं
राम हमारे अंतरमन के प्राण हैं
मंदिर-मस्जिद पूजा के सामान हैं

राम दवा हैं रोग नहीं हैं सुन लेना
राम त्याग हैं भोग नहीं हैं सुन लेना
राम दया हैं क्रोध नहीं हैं जग वालो
राम सत्य हैं शोध नहीं हैं जग वालों
राम हुआ है नाम लोकहितकारी का
रावण से लड़ने वाली खुद्दारी का

दर्पण के आगे आओ
अपने मन को समझाओ
खुद को खुदा नहीं आँको
अपने दामन में झाँको
याद करो इतिहासों को
सैंतालिस की लाशों को

जब भारत को बाँट गई थी वो लाचारी मजहब की |
ऐसा ना हो देश जला दे ये चिंगारी मजहब की ||

आग कहाँ लगती है ये किसको गम है
आँखों में कुर्सी हाथों में परचम है
मर्यादा आ गयी चिता के कंडों पर
कूंचे-कूंचे राम टंगे हैं झंडों पर
संत हुए नीलाम चुनावी हट्टी में
पीर-फ़कीर जले मजहब की भट्टी में

कोई भेद नहीं साधू-पाखण्डी में
नंगे हुए सभी वोटों की मंडी में
अब निर्वाचन निर्भर है हथकंडों पर
है फतवों का भर इमामों-पंडों पर
जो सबको भा जाये अबीर नहीं
मिलता ऐसा कोई संत कबीर नहीं

मिलता जिनके माथे पर मजहब का लेखा है
हमने उनको शहर जलाते देखा है
जब पूजा के घर में दंगा होता है
गीत-गजल छंदों का मौसम रोता है
मीर, निराला, दिनकर, मीरा रोते हैं
ग़ालिब, तुलसी, जिगर, कबीरा रोते हैं
भारत माँ के दिल में छाले पड़ते हैं
लिखते-लिखते कागज काले पड़ते हैं
राम नहीं है नारा, बस विश्वाश है
भौतिकता की नहीं, दिलों की प्यास है
राम नहीं मोहताज किसी के झंडों का
सन्यासी, साधू, संतों या पंडों का

राम नहीं मिलते ईंटों में गारा में
राम मिलें निर्धन की आँसू-धारा में
राम मिलें हैं वचन निभाती आयु को
राम मिले हैं घायल पड़े जटायु को
राम मिलेंगे अंगद वाले पाँव में
राम मिले हैं पंचवटी की छाँव में
राम मिलेंगे मर्यादा से जीने में
राम मिलेंगे बजरंगी के सीने में
राम मिले हैं वचनबद्ध वनवासों में
राम मिले हैं केवट के विश्वासों में
राम मिले अनुसुइया की मानवता को
राम मिले सीता जैसी पावनता को
राम मिले ममता की माँ कौशल्या को
राम मिले हैं पत्थर बनी आहिल्या को
राम नहीं मिलते मंदिर के फेरों में
राम मिले शबरी के झूठे बेरों में

मै भी इक सौंगंध राम की खाता हूँ
मै भी गंगाजल की कसम उठाता हूँ
मेरी भारत माँ मुझको वरदान है
मेरी पूजा है मेरा अरमान है
मेरा पूरा भारत धर्म-स्थान है
मेरा राम तो मेरा हिंदुस्तान है

सादर साभार : हरिओम पंवार

No comments:

Post a Comment

Paid मीडिया का रोल

क्या मोदी सरकार पिछली यूपीए सरकार की तुलना में मीडिया को अपने वश में ज्यादा कर रही हैं? . यह गलत धारणा पेड मीडिया द्वारा ही फैलाई गयी है ...