Monday, October 14, 2013

बकरीद पर विशेष

(बकरीद पर विशेष)
कुछ दिनोँ बाद मुस्लिमोँ का त्यौहार बकरीद आने वाला है जिसमेँ लाखोँ बेजुबान जानवरोँ को मजहब के नाम पर मार कर वो कुरानी खुदा को अपने ईमान के पक्के होने की जानकारी देँगे,मैने पूछा किस आधार पर तुम ऐसा करते हो? कहा कि हज़रत इब्राहीम ने ख्वाब मेँ देखा कि खुदा ने उनसे कहा कि जो तुम्हे सबसे अज़ीज हो उसकी कुर्बानी दो हज़रत इब्राहीम को अपना बेटा इस्माईल बहुत अजीज था हज़रत ने जब अपने पुत्र की कुर्बानी देनी चाही तो पुत्र की जगह एक दुम्बा(भेड़) प्रकट हो गया और उनका पुत्र कुर्बान होने से बच गया ये सब चमत्कार खुदा के इशारे पे हुयेँ क्योँकि परीक्षा मेँ हज़रत जी पास हो गये थेँ। तबसे मुसलमान लोग बकरीद के दिन जानवरोँ की कुर्बानी देते हैँ इससे साफ ज़ाहिर होता है कि मुसलमान लोग कितने बेवकूफ हैँ,
पूछो क्योँ ? क्योँकि वो बगैर खुदा के आदेश के जानवरोँ की कुर्बानी देते हैँ क्योँकि हज़रत को तो सपने मे खुदा का आदेश हुआ तो और इसे माना।मगर यहाँ तो किसी मुसलमान को कोई ख़्वाब नहीँ आया अगर किसी मुसलमान को आया हो तो बताओ? जब आदेश नहीँ आया तो बगैर आदेश के जानवरोँ की कुर्बानी देना क्या खुदा के हुक्म को मानना है ये तो उसकी अवहेलना करना है।पर यहाँ पर हमारे मुसलमान भाई कहेँगे कि हमको अब ख़्वाब मेँ आदेश नहीँ आया तो क्या हुआ हम उसी वाक्यात को पूरी कौम के लिए आदेश मानते हैँ।मैने कहा खूब मानो हम कब मना करते हैँ पर यहाँ पर तो तुम सबसे बड़े धोखेबाज़ हो,तुम खुदा को धोखा देते हो अपने परिवार को धोखा देते हो डबल गुनाह तुमको लगेगा पूछो कैसे? सुनो इब्राहीम ने खुदा के आदेश पर अपने अज़ीज पुत्र की कुर्बानी देनी चाही पर तुम किसकी कुर्बानी देते हो बेजुबान जानवरोँ की जो बाजार से थोड़े दिनोँ पहले खरीद लेते हो क्या यही तुमको अजीज हैँ,तुम्हारे पुत्र पुत्रियाँ बीबी बच्चे माँ बाप बहन तुमको अज़ीज नहीँ अगर नहीँ तो ये बेचारे परिवार वालोँ की किस्मत है कि आप उनको अपना अजीज नहीँ मानते अगर इनको अजीज मानते हो तो फिर क्योँ नहीँ इनकी कुर्बानी देते हो अरे जब तुम इनकी कुर्बानी दोगे तो जिस इब्राहीम के पुत्र की जगह दुम्बा(भेड़)आ गया उसी तरह तुम्हारे साथ ये चमत्कार होगा और इस चमत्कार को देखकर हम काफ़िर(कुरान के अनुसार) भी मुसलमान होँ जायेँगे अगर ये चमत्कार नहीँ हुआ अर्थात् आपका अजीज बलि देते समय बदला नहीँ तो भई काहे के मुसलमान ईमान के पक्के।अगर आप ईमान के पक्के होते तो अपने अजीज परिवार के सदस्योँ की कुर्बानी देते लेकिन आप मुसलमान ईमान के पक्के हैँ नहीँ इसलिए आप डरते हैँ और इसी डर की वजह से आप अपने अजीजो की जगह बेचारे बेजुबान जानवरोँ को कुर्बान कर देते हो वाह रे इस्लाम, वाह रे कुरान, वाह रे मुसलमान इससे तो हम काफ़िर अच्छे।
अब वैदिक धर्म की शिक्षा देखो-
मा नो गोषु मा नो अश्वेषु रीरिषः( ऋग्वेद 1-114-8)
अर्थात् हमारी गौओँ और हमारे घोड़ो को मत मार।

यदि नो गां हंसि यद्यश्वं यदि पुरुषम्।
तं त्वा सीसेन विध्यामो यथा नोऽसो अविरहा।।(अथर्ववेद 1.16.4)
अर्थात् यदि तू हमारे गाय,घोड़ा आदि पशुओँ की या पुरुषोँ की हत्या करेगा, तो हम तुझे सीसे की गोली से बीँध देँगे ताकि तू इन्हेँ फिर न मार सके।

वेद ने इनके कल्याण के लिए प्रार्थना की
देखो यजुर्वेद अध्याय 36.
शंनो अस्तु द्विपदे शं चतुष्पदे अर्थात् दो पैरोँ वाले मनुष्यादि तथा चौपाये पशु आदि का कल्याण हो।
कितना प्यारा वेद का आदेश जिसमेँ पशुओँ तक के कल्याण की कामना की गई।।

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