Friday, July 19, 2013

पंढरपुर में प्रसिद्ध विठ्ठल-रखुमाई मंदिर

महाराष्ट्र के पंढरपुर में प्रसिद्ध विठ्ठल-रखुमाई मंदिर में रखरखाव, जमीन और पैसे के हेरफेर का मामला सामने आया है. "हिन्दू विधिज्ञ परिषद" ने पूरे मामले का भंडाफोड करते हुए मुख्यमंत्री चव्हाण को चेतावनी दी है कि वे निष्पक्ष जाँचकर्ताओं और ऑडिटर से इस मंदिर का पिछले दस साल का लेखा-जोखा जाँच करवाएँ, अन्यथा वारकरी सम्प्रदाय के साथ मिलकर एक बड़ा आंदोलन चलाया जाएगा...

विभिन्न वारकरी संस्थाओं के साथ मुम्बई के प्रसिद्ध वकीलों ने RTI के माध्यम से सूचनाएं एकत्र की हैं, जिसके अनुसार अकाउंट्स और रसीदों की आवक-जावक में भारी गडबड़ी हैं. मंदिर के पुराने रिकार्ड के अनुसार भक्तों ने भगवान विठ्ठल को १२०० एकड़ जमीन दान की थी, इस जमीन का कोई हिसाब-किताब नहीं है कि इसका उपयोग कैसे हो रहा है, अथवा इसे बेचा गया या नहीं. अकाउंट्स किताबों के अनुसार सन २००० से २०१० के बीच 1,43,000/- रूपए का गौधन मंदिर से बेचा गया है उसका भी कोई हिसाब "लाभ" खाते में नहीं है. दान व प्रसाद काउंटर की रसीदों में बीच के कई नंबर गायब हैं...

उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र सरकार ने १९८५ में इस मंदिर का अधिग्रहण कर लिया था. तब से काँग्रेस सरकार ही मंदिर में ट्रस्टियों, प्रशासकों और कर्मचारियों की नियुक्ति करती आ रही है... और पिछले पन्द्रह साल से तो काँग्रेस-NCP का एकछत्र साम्राज्य है ही...

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आज पवित्र एकादशी है, उम्मीद करें कि "विधर्मियों" के हाथों से विठ्ठल मंदिर की मुक्ति का अभियान जोर पकड़ेगा...

शुभ संध्या मित्रों..

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