Tuesday, June 11, 2013

क्या चाहते थे अडवानी??


भाजपा की आडवाणी कथा में एक नया अध्याय सामने आ रहा है। मिड डे के सूत्रों के मुताबिक इस्तीफे से पहले उन्होंने पार्टी के सामने शर्त रखी थी कि एनडीए के सत्ता में आने की स्थिति में कम से कम उन्हें छह महीन पीएम बनने का मौका दिया जाए। पार्टी के इन्कार के बाद अगले ही दिन नाटकीय घटनाक्रम के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया।

सूत्रों का कहना है कि आडवाणी ने अपने इस्तीफे के एक दिन पहले ही उसका प्रारूप तैयार कर लिया था और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को इस बारे में बता भी दिया था। सूत्रों के मुताबिक उन्होंने इस्तीफा न देने के लिए पार्टी के सामने तीन शर्ते रखीं थीं। जिनमें से प्रमुख थी आगामी लोकसभा के लिए उन्हें पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित किया जाए और अगर एनडीए सत्ता में आती है तो उन्हें कम से कम छह महीने के लिए प्रधानमंत्री बनने का मौका दिया जाए। सूत्रों के मुताबिक आडवाणी का मानना है कि वे कई दशकों से पार्टी के लिए समर्पित हैं और ऐसे में पीेएम पद के लिए भाजपा में पहला दावा उन्हीं का बनता है। आडवाणी तो यहां तक तैयार थे कि अगर पार्टी किसी दूसरे नेता को आगे करना चाहती है तो वे छह महीने बाद प्रधानमंत्री पद उसके लिए छोड़ देंगे। लेकिन भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने उनकी शर्तो को कोई भाव नहीं दिया तो उन्होंने सोमवार को अपने इस्तीफे की घोषणा कर दी।

आडवाणी की दूसरी शर्त यह थी कि मोदी को चुनाव प्रचार समिति की कमान सौंपने के बजाय उन्हें संयोजक बनाया जाए। तीसरी शर्त यह थी कि अगर किसी सूरत में पार्टी मोदी को प्रचार समिति की कमान सौंपती भी हैं तो भी मोदी को उन्हें रिपोर्ट करना होगा। सूत्रों का कहना है आडवाणी चाहते थे चुनावी रणनीति के सूत्रधार वही रहें और पार्टी के बड़े फैसले उनकी सहमति से ही लिए जाएं। उधर, दूसरी तरफ आरएसएस भाजपा पर लगातार दबाव बना रही थी कि मोदी को प्रचार की कमान सौंपी जाएं।

सूत्रों के मुताबकि पार्टी नेतृत्व को आडवाणी से इस तरह के कदम की उम्मीद थी और इसके लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने कई बार चर्चा की,लेकिन आरएसएस के दबाव के आगे पार्टी को मोदी को प्रचार समिति की कमान सौंपनी पड़ी और आडवाणी की किसी भी मांग को आलाकमान ने नहीं माना।

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने लालकृष्ण आडवाणी के रुख को भांपकर अपने बेटे और उप्र भाजपा के महमंत्री पंकज सिंह को दिल्ली में लगातार आडवाणी के संपर्क में रहने को कहा था। पंकज ने आडवाणी से संपर्क बनाए रखने के साथ एक चार्टर्ड विमान की व्यवस्था भी कर रखी थी कि अगर आडवाणी का मूड बदलता है तो उन्हें तुरंत गोवा ले चला जाए।

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