Friday, June 7, 2013

अडवानी का नया पैतरा

अडवानी का नया पैतरा

सूत्रों की मानें तो आडवाणी पार्टी के हितों को लेकर ही नरेंद्र मोदी पर इतना सख्त हैं। आडवाणी का मानना है कि यदि नरेंद्र मोदी को इलेक्शन कमिटी का चीफ और फिर 2014 के आम चुनाव के लिए

प्रधानमंत्री प्रत्याशी घोषित किया जाता है तो बीजेपी की कांग्रेस के खिलाफ सारी रणनीति पानी में मिल जाएगी।

आडवाणी का मानना है कि बीजेपी का चुनावी कैंपेन के दौरान ज्यादा वक्त नरेंद्र मोदी की सेक्युलर इमेज पर सफाई देने में जाएगा। जबकि बीजेपी को मनमोहन सरकार में हुए बड़े घोटालों पर फोकस

रहना चाहिए। आडवाणी को लगता है कि मोदी को आगे करने पर आम चुनाव से भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा मुद्दा पीछे छूट जाएगा। फिर कांग्रेस सेक्युलर बनाम सांप्रदायिकता की बहस केंद्र में लाने में

कामयाब हो जाएगी। ऐसे में कांग्रेस के खिलाफ देश में बने माहौल की धारा बदल जाएगी।

आडवाणी ऐसा महसूस कर रहे हैं कि पार्टी में मोदी केंद्रीय भूमिका में आएंगे तो मीडिया में भ्रष्टाचार को लेकर जो बहस चल रही थी वह खत्म हो जाएगी। कांग्रेस के शासन काल में हुए बड़े-बड़े स्कैम

की हेडलाइन पीछे छूट जाएगी। चुनाव में बहस मुद्दों के बजाय मोदी पर अटक जाएगी। जाहिर है इसका फायदा कांग्रेस को मिलेगा। आडवाणी के करीबी सूत्रों की मानें तो कांग्रेस भी चाहती है कि मोदी

को ही बीजेपी मैदान में उतारे क्योंकि इससे उसे हेडलाइन शिफ्ट करने में मदद मिलेगी। मोदी की सेक्युलर छवि को न केवल कांग्रेस चैलेंज करेगी बल्कि एनडीए के कई साथी भी सवाल खड़ा कर अलग

हो जाएंगे। ऐसे में मोदी महज अपने दम पर कुछ कर दें यह चमत्कार से ही संभव है।
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मेरा जवाब - (अगर पसंद आये तो शेयर करे ताकि अडवानी तक ये खबर पहुचे)

अडवानी का ये मानना बिलकुल गलत है कि कांग्रेस को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ही हराया जा सकेगा. अगर ऐसा होता तो भाजपा कर्णाटक क्यों हारती, उत्तराखंड क्यों हारती, हिमाचल क्यों हारती, , उत्तर

प्रदेश में क्यों हम बुरी तरह हारे.
अडवानी इस बात का कोई जवाब नहीं दे सकते कि यदि विकास ही मुद्दा था तो २००४ में भाजपा का क्यों सफाया हो गया??????

कारन मै बताता हू - १९९९ में सरकार बनाने के बाद अटल-अडवानी ने सोचा हिन्दू वोट तो हमारा है ही क्यों ना अब मुस्लिम वोट भी हम चुरा ले कांग्रेस से . फिर अटल-अडवानी ने अपनी छवि एक

धर्मनिरपेक्ष पार्टी में बनाई. मुसलमानों को मिलाने की खूब कोशिश करी.

नतीजा क्या हुआ आप सबको पता ही है.  मुस्लिम वोट तो मिले नहीं बल्कि कट्टर हिन्दू वोट भी जाते रहे.
भाजपा को वो कट्टर हिन्दू वोटर चला गया तो उसको ना सिर्फ वोट डालता था बल्कि हर दिन हर समय भाजपा के पक्ष में माहौल बनाता था और लोगो को प्रेरित करता था. ये भी ध्यान देने वाली बात

है की भाजपा जितना ज्यादा धर्मनिरपेक्ष होने की कोशिश करेगी उतना उसका कट्टर वोट उससे दूर हो जायेगा. क्युकी एक कट्टर हिन्दू के लिए सेकुलर भाजपा भी बिलकुल कांग्रेस जैसे ही है.

अगर मोदी 2002 का दोषी है तो बाबरी मस्जिद का तो दोषी आडवाणी भी है. वाजपाई जी के भी समय इसके ढाई चावल अलग ही पक रहे थे. अब मोदी को लेकर भी वही हाल है.

सीधी सी बात है अब ये लड़ाई ओम vs रोमकी है

आगे इश्वर की मर्जी.

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