Saturday, April 27, 2013

२००२ के दंगो से भी भीषण दंगे हुए है देश में....

वर्ष १९९२ में जब बाबरी मस्जिद गिराई गई थी तब मुंबई में जो दंगे हुए थे उस वक्त महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री कौन थे है किसीको याद ? किसीको उसका नाम याद है क्या ? ठीक १० साल बाद २००२ में जो दंगा गुजरात की भूमि में हुआ था उसकेही तरह १९९२ के मुंबई दंगो की भीषणता थी लेकिन फिर भी उस वक्त के महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का नाम किसीकोभी क्यों याद नहीं है ? उत्तर प्रदेश की मलियाना और मिरत में १९८० के बाद अनेक भीषण दंगे हुए उसमे बड़ी संख्या में मुस्लिम मारे गए थे ! उसी समय में बिहार के भागलपुर और जमशेदपुर में दंगो ने अनेको मुसलमानों की जान ले ली थी उस वक्त इन दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री कौन थे ? किसीको उनके नाम याद है क्या ? तब उस वक्त इन दोनों राज्यों में किस पार्टी की सरकार थी ? किसीको वह पार्टी पता है क्या ? कुछ याद भी है या नहीं ? मित्रो वो सारे दंगे गुजरात के २००२ के दंगो से भी भीषण थे !!...लेकिन फिर भी उन सारे मुख्यमंत्री और पार्टी के नाम किसीको क्यों याद नहीं ? 

गुजरात के दंगे को अगर वहा के मुख्यमंत्री ने अंजाम दिया था और उसके वजहसे मुसलमान मरे थे तो यही तर्क पिछले सारे दंगो के लिए तब के उन सारे राज्यों के मुख्यमंत्रियों के लिए क्यों नहीं दिए जाते ? उन सभी दंगो के वक्त और बाद में भी उन सारे मुख्यमंत्रियों का नाम क्यों नहीं उछाला गया ? बहोत दूर नहीं लेकिन इसी गुजरात में गत १० वर्षो में २००२ के बाद एक भी दंगा नहीं हुआ ! अन्यथा प्रत्येक २, ३ वर्ष बाद दंगा होने वाल राज्य ऐसी गुजरात की पहचान बन चुकी थी ! और ऐसे दंगे काफी भीषण हुआ करते थे. विशेषकर १९६९ में हुआ गुजरात का दंगा गुजरात के इतिहास का एक काला पन्ना कहा जाना चाहिए ! उसमे मरे गए मुसलमानों की संख्या हजारो का आंकड़ा पार कर जाती है. 

परंतु किसी सेक्युलर की औलाद को १९६९ के गुजरात के मुख्यमंत्री और उसकी पार्टी का नाम याद है क्या ? क्यू याद नहीं है ? अगर किसी राज्य में हुए दंगे के लिए वहा के मुख्यमंत्री को दोषी ठहराया जाता है, उसका जिम्मा उसके माथे पे गडा जाता है.... फिर वे सारे दंगेवाले मुख्यमंत्री दोषी क्यों नहीं ठहराए जाते ?
आज जो लोग गुजरात के मुख्यमंत्री को गुनाहगार सिद्ध करने के लिए दिन रात एक कर रहें है उन्हें अबसे पहले हुए दंगो के मुख्यमंत्री निर्दोष क्यों दिखते है ? ये सारी सेक्युलरो की औलादे यह दिखाने की कोशिश करती है के मरा हुआ प्रत्येक मुसलमान खुद मोदी ने अपने हाथो से मारा था ! ऐसा संशोधन करने वाले सेक्युलर पहले के दंगे किन मुख्यमंत्रियों की देन थी, किसने वे सारे षड्यंत्र किये थे उनके नाम क्यों नहीं बताते ? और उनसे सवाल क्यों नहीं करते ?

यह सारे प्रश्न किसी संघ के या हिंदुत्ववादी विचारधारा वाले मनुष्य के नहीं है ....! यह प्रश्न किये है सलीम खान नाम के एक प्रतिष्ठित मुस्लिम लेखक ने ! जिनका जवाब / उत्तर अभी तक नहीं मिला है !! क्यों के ऐसा कहिये के इन प्रश्नों के उत्तर है ही नहीं !!!! या फिर जवाब देने की कोशिश की गई तो सामने आने वाला सत्य मोदी की शक्ती और बढ़ाएगा उसके हाथ पहले से ज्यादा मजबूत करेगा , उसकी जीत पक्की करेगा और मोदी विरोधी सेक्युलर कीड़ों ने मोदी के विरोध में गोबेल्स के तंत्र से जो जहर उगला है, जो झूठा प्रचार किया है वह पूरा झूठ नंगा हो जायेगा !!!!!!!!!!!!

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