Wednesday, April 17, 2013

मोदी पर जो दाग दाग

                                   मेरे दाग

राजनीतिक पंडितों  द्वारा मोदी  पर जो दाग दाग की बात की जा रही है उनपर मेरी विचार धारा , जो टूट जाये वो संकल्प नहीं होता जीत का कोई विकल्प नहीं होता .

भारत के राजनीतिक दल जिनका संकल्प है की मोदी गुजरात दंगो के दागी हैं , क्यूंकि उनके पास मोदी का कोई विकल्प नहीं है , तोड़ नहीं है , इसलिए वो मोदी को कभी बेदाग़ नहीं कह सकते
लेकिन इन दंगो में मुझे भी आज तक ये समज  नहीं आया की हकीकत मे मोदी पर दाग है  कौन सा

कुछ प्रश्न मेरे  मन में उठते हैं की

मोदी पर दंगा भड़काने का दाग है

या दंगा लगाने का

या हिन्दू  होने का दाग

जो बाकि के राजनेता नहीं हैं  क्यूंकि मोदी आज भी अपने आप को सनातनी कहते हैं . मुझे तो लगता  है की मोदी का हिन्दू होना ही उनके लिए सब से बड़ा दाग है
क्यूंकि जात का आरोप उन पर लगता नहीं , इसलिए हिन्दू होना ही उनपर सब से बड़ा दाग है , क्यूंकि हिन्दुस्ता में अब हिन्द नहीं सेक्युलर होना  ज़रूरी है  , और वो सेक्युलर जो हिन्दू विरोधी हो .
क्यूंकि दाग दाग का खेल मज़हब में ही चल सकता है। वरना तो बेदाग़ शब्द मिल ही नहीं पाएगा , क्यूंकि भ्रष्टाचार तो सिर्फ TRP का एक ड्रामा है , वरना उसका दाग और सजा किसको  हुई है ये आप भी जानते
हैं . गुजरात दंगो का दाग , मोदी बेचारे एक दंगे के दाग में फंसे है , लेकिन मैं अपनी छोटी सी ज़िन्दगी में बहुत से  दंगे देख चूका हूँ , लेकिन उनके दाग नहीं देखे , दाग सिर्फ हिन्दू विरोधी ओते हैं , क्यूंकि वोट बैंक की राजनीति  है इसलिए तो दाग हैं .

sit भी बेठी कहा  मोदी बेदाग़ हैं . कोर्ट ने  भी कहा  है मोदी  बेदाग़ हैं  , फिर  मुझे लगता है की ये कहीं अपने दाग छुपाने के लिए  तो नहीं कहा जा रहा की तेरे दाग दाग ,मेरे दाग बेदाग .

या अगर सच में दाग हैं तो फिर दागी की परिभाषा यूँ होनी चाहिए .
सरदार मनमोहन सिंह इंद्रा गाँधी के हत्यारे
फारूक अब्दुल्ला कश्मीरी पंडितों के हत्यारे
इंद्रा , राजीव सिखों के हत्यारे
बादल  पंजाबी हिन्दुओं के हत्यारे
अगर दाग लगाने का तरीका एसा  है तो .

मोदी पर आरोप   इसलिए लगाये   जाते हैं की मोदी RSS की पृष्ठभूमि से आते हैं , और वो हिंदूवादी हैं .

वरना दागी होते तो SIT केंद्र ने ही बनायीं थी , क्यूँ नहीं हो पाई सजा मोदी को केंद्र में तो कांग्रेस की ही सरकार  है ,सीबीआई  का उपयोग भी तो मोदी के खिलाफ किया जा सकता था .

हकीकत तो ये है की दंगो के वक्त मुख्यमंत्री मोदी थे जो हिन्दू थे .
लेकिन समज ये नहीं आता की अगर यहीं बात है तो इंद्रा गाँधी को मारने  वाले सरदार थे . और मनमोहन भी सरदार हैं ,तो इसका मतलब मनमोहन इंद्रा के हत्यारे हैं . ये केसा कोर तर्क है कभी समझ नहीं आया
और तो छोडिये मोदी ने उसवक्त  पुलिस कांग्रेस शासित राज्यों से मंगवानी चाही थी , कांग्रेस ने देने से साफ़ इनकार कर दिया था . क्या कांग्रेस का कर्तव्य नहीं बनता था की देश में इतने बड़े  दंगे पे वो गुजरात की मदद करती , या राजनीती ज़रूरी थी ,इसका मतलब कांग्रेस भी मोदी के साथ आदे  दाग की हिस्सेदार है .

और एक प्रश्न और उठता है मीडिया के पंडितों  के लिए .

दंगे तो  UP में भी हो रहे हैं मुलायम सरकार में  तो फिर इसके दागी  अखिलेश और मुलायम क्यूँ नहीं ,  क्यूंकि ये हिंदूवादी नहीं हैं यहीं वजह है क्या .

दंगे तो असाम  में भी हो रहे हैं , जहाँ कांग्रेस सरकार है  और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी जहाँ से राज्यसभा सांसद हैं  फिर वहां के दाग दाग नहीं क्या .

या वो  दंगे नहीं . अब दंगो पर मेरी  सोच यहीं कहती है की दंगे  भी  3 तरह के हो चुके हैं .

एक आम दंगे
एक शरेयाम दंगे
एक इंतकाम दंगे   और इनके बाद एक और हैं जिन्हें दंगे नहीं कहा जा सकता  कत्लेयाम  दंगे . कह रहा हूँ  लेकिन
आम दंगे जो असम में हो रहे हैं , शरेयाम दंगे जो UP में हो रहे हैं
और इंतकाम दंगे जो गुजरात में हुए , इंतकाम दंगे मतलब जो  बदले की भावना से हुए , और कुछ देर के लिए हुए फिर बंद .. कत्ल्याम दंगे  जो कश्मीर में हुए और हो रहे हैं  जिनकी न उम्र है न बंद होने की कोई गुंजाईश क्यूंकि वहां वोट बैंक नहीं है इसलिए  वहां दंगे और दाग दोनों खाते में नहीं आते .
हकीकत तो ये है की  न दाग हैं न दंगे  ये तो  हर स्टेट की कहानी है . जब तक लोग विद्वान नहीं हो जाते  तब तक दंगे एसे ही होते रहेंग . मोदी के खिलाफ विपक्षियों को जब तक कोई सॉलिड मुद्दा नहीं मिल जाता तब तक मोदी दागी ही रहेंगे .
लेकिन जिस तरह इस बार गुजरात चुनाव पर दाग नहीं विकास हावी था , एक दिन एस आएगा मोदी दाग का नहीं विकास का प्रतीक कहलायेगा  क्यूंकि अभी तो गुजरात का मुसलमान समझा है देश का मुसलमान भी समझ जाएगा . की  जहाँ दंगे हुए वो अपना वोट मोदी को दे रहे हैं तो हम क्यूँ उनपर आरोप लगायें . और  आखिर में यहीं कहूँगा 

. की दंगे नेता नहीं जनता करती है , जनता को समझदार बनाओ और दंगो से   छुटकारा पाओ . मोदी ये भली भांति जानते हैं इसलिए तो पिछले 10 साल में एक दंगा नहीं हुआ .

अब देश को और मीडिया वालो को भी समझना होगा की दंगो की रट से देश का भला नहीं हो सकता विकास से भला होता है .  मोदी  की जान छोड़ो और विकास की बात करो .
तेरे दाग मेरे दाग उसके दाग दाग।
 दाग होते हैं लेकिन जब आदमी इन दागो को धो डाले फिर वो बेदाग़ होता है ,  अब विकास को मुद्दा बनाया  जाये  और देश को प्रगति  की राह पर आगे ले जाया जाए .

 लिखने वाला स्वतंत्र पत्रकार .

No comments:

Post a Comment

Paid मीडिया का रोल

क्या मोदी सरकार पिछली यूपीए सरकार की तुलना में मीडिया को अपने वश में ज्यादा कर रही हैं? . यह गलत धारणा पेड मीडिया द्वारा ही फैलाई गयी है ...