Friday, March 1, 2013

आपको भी पता होना चाहिए ---
क्रूड आयल (कच्चे तेल ) का अंतर्राष्ट्रीय मूल्य हैं --११० डालर /बैरल ---भारत भी यही दाम पर खरीदता है 
---देश मे कच्चे तेल का मुख्य उत्पादक है ओ.एन.जी.सी. जो देश की जरूरत का करीब ६% कच्चा तेल निकाल कर देश की आयल कम्पनियों को सप्लाई करती है ---और वो भी ४७ डालर /बैरल की दर से और इस रेट पर भी बेच कर ओ.एन.जी.सी.ने २०१२-२०१३ मे करीब १७१३ करोड़ रूपये का फायदा कमाया है --अब ओ.एन.जी.सी की मांग है की उसको कम से कम ६० डालर/बैरल का रेट दिया जाए ----
अब सवाल उठता है की क्या भारत ११० डालर /बैरल पर कच्चा तेल खरीद कर प्रति बैरल "कमीशन " दे रहा है ---अगर हर बैरल पर दलाली दी जा रही है तो य रकम रोज अरबो-खरबों मे होती है ---और अगर नहीं तो देश मे कम दाम क्यूँ चुकाएं जा रहें हैं ---क्या कच्चे तेल का दाम वास्तव मे इतना कम है --? या फिर कांग्रेस सरकार का कोई अत्यंत भयानक खेल है ---आज १ मार्च १३ को भी पेट्रोल के दाम बढा दिय गए ---आखिर क्यूँ --
देश मे करीब ३-६% वाहन सी.एन.जी./पी.एन.जी.पर चलने लगें हैं --तो डीज़ल की खपत भी कम हुयी है --क्या आज तक सरकार ने जनता को ये बताया है की सी.एन.जी./पी.एन.जी चालित वाहन चलने से डीज़ल की खपत मे क्या कमी आई है ---हम आर.टी.आई लगाने जा रहें हैं ---आप भी लगाइए ---
पूछिए --की कुल कितने प्रदेश मे सी.एन.जी./पी.एन.जी चालित वाहन चल रहें है ? कुल वाहन की संख्या क्या है ?--डीज़ल की खपत कितनी कम हुयी है ?
जागरूकता मे ही कामयाबी है ----
जय जन जय भारत

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