Sunday, March 10, 2013

क्या सिखने को मिल रहा है

जरा सोचिये ....क्यों ? किसके लिए ?? क्या सिखने को मिल रहा है ??? जो देखते है उन पर क्या असर पड़ता है ........

विज्ञापन आ रहा है स्नैकरर्स चाकलेट का-
लडकी अपने बाप को चाकलेट खिला के एक बार फिर टहलने भेज देती है और फिर एक लडके के साथ टशन लेती है ?

विराट कोहली लडकी पटाने के तरीके सीखाता है !

 कान्डोम के में लडकी कहती है सब कुछ पहली बार जैसा !

परफ्यूम लगाया और कईं लडकियाँ तन मन से पीछे लग जाती है ! हर किसी में लडकी को ही मुददा पर क्यूँ ?

क्या यही हैं हमारी भारतीय नारी क्या भारतीय नारी इतनी कमजोर है कि परफ्यूम की खुशबु से अपनी इज्जत गँवा दे..........

दिखाते ये चोकलेट खाओ प्यार हो जायेगा जरा सोचो जब ये चोकलेट भारत में नही थी तब क्या भारतीय प्यार नही करते थे क्या ??

prfume नही था तो क्या हमारे पूर्वज ऐसे ही थे ??

क्या सीखते एन सब से हम जरा सोचिये ......

जब हमे कोई एतराज नही है तो ये तो दिखायेंगे ही ना ,,,,

एन सब का विरोध करे और एन से दूर रहे ....
समझदारी से काम लीजिये ......

- कोलगेट नही था तो क्या भारत में पति पत्नी साथ नही सोते थे ?

- चाय नहीं थी तो क्या सब सुस्त और आलसी थे सुबह खडे नही हो पाते थे ?

- क्रिकेट नही था तो क्या भारतीय खेलते ही नही थे ?

- वैलेनटाइन नही था तो क्या भारतीय प्रेम नही करते थे ?

- फेयरलवली नही थी तो क्या सब भारतीय नारी काली थी ?

- स्कर्ट नही थी तो क्या भारत में लडकियां पढती नही थी ?

- अमूल माचो नही था तो क्या भारतीय नंगे रहते थे ?

- डिस्को नही था तो क्या भारत में संगीत नही था ?

- ओह माई गोड शब्द नही था तो क्या भारतीय भगवान नही मानते थे ?

- लाइफ बाय लक्स नहीं था तो भारतीय गले सडे रहते थे ?

- पैंटीन नही था तो क्या सब गंजे हो जाते थे ?

- अंग्रेजी नही थी तो क्या भारत में कोई ज्ञानी नही था ?

देसी चीजों को बढ़ावा दो विदेसी चीजों का बहिसकार करो.... समझदारो के लिए है ये पोस्ट कोई बहकूफ अपनी समझदारी ना दिखाये....

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